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एक बूँद हूँ पर अन्तस में मैने सागर को पाया है, बनने को सागर बन जाउँ तटबन्धों से डर लगता है| सम्बन्धों से डर लगता है| अनुबन्धों से डर लगता है|
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 प्रिय प्रवासी
प्रवासी गीत (भारतवंशी गौरव की सुंध)
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सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् 2

तव अभिनन्दन प्रिय प्रवासी, स्वागत वंदन प्रिय प्रवासी

हरेक प्रवासी के अन्तर में धड़के हिन्दुस्थान
हर भारतवंशी के दिल में धड़के हिन्दुस्थान
भले बसे हों जाकर अमरीका, यू॰के॰, जापान, रशिया या ओमान
धड़कता प्यारा हिन्दुस्थान, नयन का तारा हिन्दुस्थान
जहां से न्यारा हिन्दुस्थान……………………

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 


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