ये जो तेरे अपने घर मे
तेरी इज्जत अफजाई है
गलतफहमियों में मत रहना
दौलत अपने संगलाई है
वो चला था इस जमाने को सिखाने तैरना
नाम उसका डूबनेवालों में यारो जुड़गया
मौत कैसे आसमां से आयेगी सोचा था बस
इक परिंदा झील से मछली पकड़कर उड़ गया
जब उजियारे मिले हमें
पत चला अंधियारा क्या
कितनी घोर आमाबस थी
फिरभी सूरज हारा क्या
सच तो आखिर सच ही है
मेरा और तुम्हार क्या