गीत-सरिता

उठ जाग भारत जाग रे

आलस्य, निद्रा त्याग रे

पुरुषार्थ का बीड़ा उठा

जागेगा तेरा भाग्य रे

उठ जाग भारत जाग रे

 

टुकड़ों में जो तू बँट रहा

उत्साह तेरा घट रहा

संघर्ष की बेला है यह

तू एकता का बिगुल बजा

उठ जाग भारत जाग रे