परिवर्तन संसार में, शाश्वत परम विधान बंधन में जिसके बँधे, सुर, नर, सकल जहान मन में धीरज रखिए, धैर्य धर्म का मूल बिना धैर्य उपजे सदा, मानव हिय में शूल रामायण, गीता पढी, बाइबल और कुरान मिला नही व्यवहार मे] फिर कैसा ये ज्ञान कबिरा, तुलसी, जायसी, सूरदास, रसखान गायी महिमा ब्रह्म की, मिटा सकल अज्ञान माँ दुर्गा साकार है महिमा सभी सुनाएँ ममता की गंगा बहै, सुर, नर मुनि तर जाएँ |