शब्द अगर बनकर रहें हर पल भाव प्रधान शब्द ब्रह्म बन गूँजता, तब हर शब्द महान सुर से सुर मिलता नही, गीत हुय बदनाम बंसी की धुन लाओ अब ओ मेरे घनश्याम लुटे-लुटे जंगल सभी, लुटे-लुटे से गाँव लील गये ऊँचे भवन, वह अम्बुजा की छाँव शहरों का साम्राज्य है, बौने होते गाँव प्यास लौटती कूप से, थके-थके है पाँव किसका यह गुणगान है, कैसा गौरव-गान भूख करे तांडव यहाँ, सस्ती बिकती जान |