मन्क पंछी बावरा, उड़-उड़ व्याकुल होय तन्त्र विलासी हो गया, लोक करे विषपान मोहन कब लौटें सखी, तनिक बता दे मोय कालचक्र के साथ ही , उलटा सकल विधान अक्ल बड़ी या भैंस यह प्रश्न एक श्रीमान बोले संसद तक चलो, तुरत पड़ेगा जान बदली लेकर आ गयी, क्यों सावन संदेस तड़पत हूँ बिरहन बनी, पिया बसे परदेस नैना सावन बन गये, मन में मेघ विषाद बिजली बन हँसती रही, प्रियतम तेरी याद |