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एक बूँद हूँ पर अन्तस में मैने सागर को पाया है, बनने को सागर बन जाउँ तटबन्धों से डर लगता है| सम्बन्धों से डर लगता है| अनुबन्धों से डर लगता है|
 छन्द-निर्झर : आन-बान वाले राजस्थान को प्रणाम

पन्ना धाय, पदमिनी और हाड़ा रानी वाले

नारियों के पुण्य स्वाभिमान को प्रणाम है

मातृभूमि के हितार्थ भामाशाह ने जो दिया

इतिहास में अकेले दान को प्रणाम है

घासवाली रोटियाँ जो खा के भूमि पर सोए

प्रभु एकलिंग के दीवान को प्रणाम है

शूरता औ’ वीरता, पराक्रम के पर्याय

आन-बान वाले राजस्थान को प्रणाम है


 
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