Untitled Document
Untitled Document
Untitled Document
एक बूँद हूँ पर अन्तस में मैने सागर को पाया है, बनने को सागर बन जाउँ तटबन्धों से डर लगता है| सम्बन्धों से डर लगता है| अनुबन्धों से डर लगता है|
 छन्द-निर्झर : वन्दे मातरम

दिव्य-चेतना का गान, भारत का स्वाभिमान

शहिदों का वरदान गीत वन्दे मातरम्

गौरव का देता ज्ञान, नवयुगी अभियान

एकता की पहचान गीत वन्दे मातरम्

शान्ति का है परिधान, तीन रंगो की है शान

नव क्रान्ति का विहान गीत वन्दे मातरम्

मित्रता की है ये आन, बैरी के लिए कृपाण

सबका ही है महान गीत वन्दे मातरम्

 

मन्दिरों में भगवान, गुरुद्वारों का है ज्ञान

मस्जिदों की भी अजान गीत वन्दे मातरम्

माटी की है मुस्कान, लोकतंत्र का है मान

सौ करोड़ का है प्राण गीत वन्दे मातरम्

सूर, तुलसी, कबीर, मीरा और रसखान

मुरली की मीठी तान गीत वन्दे मातरम्

जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान

सबका ही है महान गीत वन्दे मातरम


 
Untitled Document
परिचय | मुखपृष्ठ | अनुभव की धारा | प्रैस | अपनों की नजर में | संस्मरण | सम्पर्क
सर्वाधिकार सुरक्षित © २०१० ईमेल : mail@gajendersolanki.com