तीज हरियाली आई मन में उमंग लाई लगे मानो सावन पे चढती जवानी है पपीहा के गीत और दादुरों के स्वर मीत भँवरों का नृत्य कहे रुत मस्तानी है झूले अम्बुआ की डार, नार गाएँ मल्हार सखी औ’ सहेली कहें रूप में रवानी है पुरवा बयार लाई रिमझिम-सी फुहार बादलों की जीत-हार लगती सुहानी है |