हमको उजाला देते-देते जो बुझे हैं’ उन दीपकों की पावन कतारों को नमन् है मातृ-वंदना के गीत गाते-गाते चूम लिए उन फाँसी वाले पुण्य – हारों को नमन् है बलिदानी स्वरों की पुकारों को नमन् मेरा कोल्हुओं से बही तेल – धारों को नमन् है क्रांतिकारियों ने जहाँ लिखा वन्देमातरम् ‘सेल्युलर जेल’ की दीवारों को नमन् है
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