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एक बूँद हूँ पर अन्तस में मैने सागर को पाया है, बनने को सागर बन जाउँ तटबन्धों से डर लगता है| सम्बन्धों से डर लगता है| अनुबन्धों से डर लगता है|
 छन्द-निर्झर : हर भारतीय को सुभाष होना चाहिए

भारत को अपमान-दंश देने वाले सभी

आस्तीनी साँपों क विनाश होना चाहिए

अपनी ये प्यारी न्यारी मातृभूमि के लिए ही

प्राण तजने का अहसास होना चाहिए

चाहे कितना ही तम घिर आए चहुँ ओर

किन्तु आदमी को न निराश होना चाहिए

शत्रुओं का सर्वनाश करने के लिये आज

हर भारतीय को सुभाष होना चाहिए

 


 
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