अवतारों, शूर-वीरों के हैं अनुचर हम सूफी, सन्त, पीरों की भी हम सरगम हैं राम, कृष्ण, महावीर, की ही हैं सौगन्ध हम बुद्ध और नानक की हम ही कसम है राणा औ’ शिवाज़ी,गुरु गोविन्द के वंशज हैं जानता है जग हम किसी से न कम हैं शान्ति ओ’ अहिंसा भले नीति-रीति हो हमारी शत्रु-नाश-हेतु काल विकराल हम हैं
|