चेतक की टापों संग हल्दीघाटी में जो उड़ी उस धूल से सजे गगन को नमन है धर्म, संस्कृति,स्वाभिमान हेतु किया गया शूरता के पावन हवन को नमन है राजस्थानियों के हृदयों मे जो धधक रही राज्पूतों वाली उस अगन को नमन है हल्दी घाटी से दिल्ली तक भी पहुँच गयी राणा ज़ी प्रताप की तपन को नमन है |