एकता की क्रान्ति का ही गान होना चहिए सारी वसुधा को ही कुटुम्ब मानने के साथ निज संस्कृति का भी भान होना चाहिए देश की विशेषता ‘अनेकता मे एकता ‘ है वन्दे-मातरम् वरदान होना चाहिए जाति, पाँति, भाषा ,धर्म ,प्रान्त-भावना से पूर्व सबके दिलों में ‘हिन्दुस्थान ‘ होना चाहिए |