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एक बूँद हूँ पर अन्तस में मैने सागर को पाया है, बनने को सागर बन जाउँ तटबन्धों से डर लगता है| सम्बन्धों से डर लगता है| अनुबन्धों से डर लगता है|
 छन्द-निर्झर : सबके दिलों में ‘हिन्दुस्तान होना चाहिए

एकता की क्रान्ति का ही गान होना चहिए

सारी वसुधा को ही कुटुम्ब मानने के साथ

निज संस्कृति का भी भान होना चाहिए

देश की विशेषता ‘अनेकता मे एकता ‘ है

वन्दे-मातरम् वरदान होना चाहिए

जाति, पाँति, भाषा ,धर्म ,प्रान्त-भावना से पूर्व

सबके दिलों में ‘हिन्दुस्थान ‘ होना चाहिए


 
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