ज़ो अपने भारत के गौरव मूरत हैं बलिदान की जय जवान और जय किसान संग बोलो जय विज्ञान की वन्दे मातरम् , वन्दे मातरम् जो प्रहरी बन सीमाओं पर मौत से भी लड़ जाते हैं सींच-सींचकर खून-पसीने से माटी महकाते हैं जो मृत्यु से लड़ जाते है जो माटी को महकाते हैं जिनके पौरुष से महके हैं निर्जन रेगिस्तान भी जय जवान विज्ञान की वन्दे मातरम् ,वन्दे मातरम् जिन चरणों पर शीश झुकातीं हिमगिरि की मालाएँ कल-कल बहते झरने-नदियाँ ग़ौरव-गीत सुनाएँ ज़िनकी यश गाथाएँ गाएँ जिनके गौरव गीत सुनाएँ गूँज रही जल-थल-अम्बर में गाथा जिनकी शान की जय विज्ञान और जय किसान सँग बोलो जय विज्ञान की वन्दे मातरम् वन्दे मातरम |