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एक बूँद हूँ पर अन्तस में मैने सागर को पाया है, बनने को सागर बन जाउँ तटबन्धों से डर लगता है| सम्बन्धों से डर लगता है| अनुबन्धों से डर लगता है|
 गीत-सरिता : विक्रमी संवत्

है हमारी संस्कृति का गान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी

जिस दिवस नवरात्रि का आरम्भ होता है सदा

शक्ति की पूजा का पावन मान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पह्चान सम्वत विक्रमी!

चन्द्र की इन कलाओं का सहस्रों साल से

कर रहा नित ही नया गुणगान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी1

पुष्प पंच सहस्र इक शत इन युगों की माल में

कलियुगी इस चक्र का व्याख्यान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी !

यह दिवस जब शून्य से प्रकटी थी मातृ-वसुन्धरा

ईश तक का बन गया उत्थान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी!

राम जब राजा बने यह जग प्रफुल्लित हो गया

चैत्र शुक्ला एक का आह्वान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पह्चान सम्वत् विक्रमी!

कहते हैं स्वाधीन पर, आधीन अपना मन अभी

आज भी नव चेतना का ज्ञान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी!

निज पुरातन काल-गणना का यही विज्ञान हैं

बन गया अब नवयुगी अभियान सम्वत् विक्रमी

काल गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी!

सूखते इस बृक्ष को आओ कि मिल पुष्पित करें

राष्र्ट के गौरव का देता ज्ञान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी !

घोलता विष पश्चिमी दानव है अपने देश में

है विनाशक बाण का संधान सम्वत् विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी !

हो सुमंगल हम सभी का विक्रमी नवबर्ष में

गूँजे बनकर एकता की तान सम्वत विक्रमी

काल-गणना की अमिट पहचान सम्वत् विक्रमी !



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